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परिवार या प्यार

◆परिवार या प्यार◆


आयुष के ऑफिस से घर आने के बाद, आयुष की माँ सुनीता उसके कमरे में आती हैं और वह बहुत ही खुशी-खुशी अपने बेटे से कहती है कि चूँकि अब वह अपने लाइफ में सेटल हो चुका है और अब उसकी शादी की उम्र भी हो चुकी है तो क्यों ना आयुष जल्दी से शादी के बंधन में बंध जाए। आयुष शादी के लिए हाँ कर देता है पर वह थोड़ा हिचकिचाया हुआ था। सरिता बड़े ही उत्सुकता के साथ दौड़ी-दौड़ी घर में सभी को यह खुशखबरी देने को जाती है कि आयुष ने शादी के लिए हाँ कर दी है। यह सुनकर आयुष के पिता दिग्विजय और पूरा शर्मा परिवार बहुत खुश था। और होते भी क्यों ना आखिर आयुष उनके खानदान का एकलौता चिराग था।
आयुष शर्मा शहर का सबसे बड़ा बिज़नेस टाइकून है और इसके साथ ही बेहद ही सरल स्वभाव वाला व्यक्ति। जिसमें लेशमात्र भी घमंड न था। शर्मा के परिवार में आयुष के माता-पिता के अलावे आयुष की दादी कांता देवी, चाचा रतन और चाची गायत्री रहते हैं। आयुष के चाचा-चाची की कोई संतान नही है। आयुष दिग्विजय और सुनीता की इकलौती संतान है। 
सुनीता अपनी सास और देवरानी से आयुष की होने वाली दुल्हन का जिक्र करते हुए कहती है कि उनके खानदान की बहू रूप-रंग और स्वभाव में कुछ ऐसी ही होनी चाहिए जैसा आयुष है। जिससे जो एक बार मिले.. बस उसकी तारीफ़ करता ना थके। कांता और गायत्री भी सुनीता की बातों से सहमति जताते हैं। तभी गायत्री, दिग्विजय के दोस्त अजय सिंघानिया की बेटी आरोही से आयुष की शादी की बात चलाने को कहती है। जो अभी-अभी लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस आई है। बेहद खूबसूरत और मॉडर्न भी है। सुनीता, गायत्री की बातों से सहमत हो कर बहुत खुश हो जाती है और यह भी कहती है कि शर्मा फैमिली, सिंघानिया फैमिली के बराबरी का भी है इसलिए अगर यह रिश्ता हो जाए तो बहुत ही अच्छा होगा। सुनीता आगे आगे कहती है कि वह जल्द ही आयुष से आरोही के बारे में बात करेगी।
दूसरे दिन शाम को जब आयुष ऑफिस से वापस आता है तब सभी परिवार वालों के सामने सुनीता, आयुष के सामने आरोही की बात रखती है। यह सुन कर आयुष थोड़ा हिचकिचाता हुआ कहता है, -" मॉम.. वो.. मैं आरोही से शादी से नही कर सकता क्योंकि मैं किसी और से प्यार करता हूँ। और हम दोनों एक दूसरे को कॉलेज के टाइम से जानते हैं।"
यह सुनकर सभी परिवार वालों के होश उड़ जाते हैं कि आज तक आयुष ने कभी उस लड़की का जिक्र किसी से नही किया था। सभी उस लड़की के बारे में जानना चाहते हैं कि आखिर वह लड़की कौन है। सुनीता को लगता है कि अगर वह आयुष की पसंद है तो कुछ खास ही होगी। वह आयुष से उस लड़की की तस्वीर दिखाने की बात करती है और उसके परिवार के बारे में पूछती है।
आयुष अपना मोबाइल में उसकी लड़की की फ़ोटो निकाल कर अपनी माँ को दिखाता है बोलता है,-"  इसका नाम सुनैना है और इसके पापा की हमारे ऑफिस के पास ही मिठाई की दुकान है।" सुनैना की तस्वीर देखते ही और यह सुनते ही सुनीता गुस्से से आग-बबूला हो जाती है और आयुष पर चिल्लाती हुई कहती है, -"ये है तुम्हारी पसंद.. जो कि ना तो शक्ल और सूरत से तुम्हारे काबिल है और ना ही इसके खानदान और हमारे खानदान में कोई बराबरी है।"
अपनी माँ की बाते सुन कर आयुष बोलता है कि भले ही सुनैना सांवली है और मॉडर्न नही है। भले ही वह एक छोटे से परिवार से हो पर दिल की बहुत अच्छी है। वह उसे सालों से जानता है।
उसके और इस परिवार के लिए सुनैना परफेक्ट है।
दिग्विजय और और सारे परिवार वाले भी सुनैना को पसंद नही करतें और दिग्विजय कहता है कि इस खानदान की बहू आरोही ही बनेगी। 
पर आयुष अपनी बातों पर अड़ा रहता हुआ बोलता है कि उसने सुनैना से शादी का वादा किया है और वह इससे पीछे हट कर उसे धोखा नही दे सकता। उसके उसूल उसे ऐसा करने की गवाही नही देते। 
परिवार वाले यह सुन कर हैरान थें कि आयुष आज उस लड़की की वजह से सभी के ख़िलाफ़ खड़ा हो चुका था।
सुनीता भी अपनी बातों पर अड़ी थी कि वह सुनैना को अपने खानदान की बहू हरगिज़ नही बनाएगी। चाहे कुछ भी हो जाए।
सुनीता कठोर निर्णय लेते हुए कहती है कि आयुष को अपने परिवार या प्यार में से किसी एक को चुनना होगा।
यह सुन कर आयुष के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है और वह बोलता है कि अगर ऐसी ही बात है तो वह अपने परिवार को नही छोड़ सकता पर वह किसी और से शादी कर सुनैना को धोखा भी नही दे सकता। अगर वह सुनैना से शादी नही करेगा तो किसी और से भी नही करेगा। वह ताउम्र अकेला ही रहेगा। यह उसका फाइनल डिसिज़न है। इतना कह कर आयुष अपने कमरे में चला जाता है।
सभी हैरान थें। आज आयुष एक तरफ़ था और दूसरी ओर पूरा परिवार। 
तभी कांता समझदारी दिखाती हुई बोलती है कि अगर आयुष ही खुश ही नही रहेगा तो क्या फायदा। अगर वो परिवार का साथ ना छोडने के लिए ताउम्र शादी ना करने का फैसला ले सकता है तो क्या हम उसकी खुशी के लिए अपनी जिद्द नही छोड़ सकते। समाज और अपने रुतबे के लिए आयुष की ज़िंदगी बर्बाद कर देना कहा तक सही है..? रतन अपनी माँ की बातों से सहमत होता हुआ बोलता है,-"भैया-भाभी मुझे लगता है माँ सही कह रही हैं। हम सभी को पता है कि आयुष अपने बातों का कितना पक्का है। दिग्विजय और सुनीता अपने गुस्से को ठंडा करते हैं और थोड़ी देर सोचने के बाद यह निर्णय लेते हैं कि शायद कांता सही कह रही है। आयुष की खुशी सुनैना के साथ ही है। और सभी सुनैना और आयुष की शादी को मान जाते हैं। सभी आयुष के कमरे में जा कर उसे खुशखबरी देते हैं। 
इस तरह आयुष का प्यार और परिवार दोनों जीत गए।
©स्वाति चरण पहाड़ी
#दैनिक_प्रतियोगिता_हेतु




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3 Comments

Varsha_Upadhyay

15-Jul-2023 07:41 PM

बहुत खूब

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Alka jain

15-Jul-2023 02:42 PM

Nice one

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Abhinav ji

15-Jul-2023 07:45 AM

Very nice 👍

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